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ये था इतिहास का पागल सुल्तान |

ये था इतिहास का पागल सुल्तान  क्या आप जानते हैं इतिहास में एक पागल राजा भी हुआ करता था | इतिहास में उसे मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से जाना जाता हैं | मुहम्मद बिन तुगलक का पहला नाम फखरूद्दीन मुहम्मद जूना खां था | वह ज्ञासुद्दीन तुगलक का बड़ा बेटा था | अपने पिता के दिल्ली सल्तनत के समय वह एक शूरवीर योद्धा था और जिसकी वजह से सुल्तान ने उसे युवराज नियुक्त किया था | मुहम्मद तुगलक दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों में सबसे बुद्धिमान राजा था लेकिन उसमें व्यावहारिक बुद्दिमता का अभाव था , जिसके वजह से उसकी हर योजनाए असफल होती जा रही थी |  दिल्ली की जगह देवगिरि को राजधानी बनाना (1327 ईस्वी ) मुहम्मद तुगलक ने 1327 ईस्वी में दिल्ली की जगह देवगिरि को अपनी राजधानी बनाने का सोचा | इसके कई कारण थे |  (1) उसने सोचा कि देवगिरि साम्राज्य के केंद्र में सतिथ हैं और उसके द्वारा जीते गए सभी प्रदेश जैसे :-  दिल्ली , गुजरात , लखनौती , द्वारसमुन्द्र , सतगांव , सुनरगांव , कंपिल आदि सभी लगभग एक समान दूरी पर सतिथ हैं | और देवगिरि से सभी राज्यों का शासन एक प्रकार से चलाया जा सकेगा |  (2) सुल्तान से सो...
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जानिए आखिर कैसे लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना था |

जानिए आखिर कैसे लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना था |  आज के इस लेख में हम आपको लक्षद्वीप के इतिहास के बारे में बताएंगे की कैसे लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना था | इन दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मालदीव की सरकार के बीच लक्षद्वीप को लेकर विवाद चल रहा हैं जो आपने जरूर सुना होगा | लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना था ? 1947 में अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल आधे घंटे की और देर करते तो शायद आज लक्षद्वीप पाकिस्तान का हिस्सा होता या परिस्थितिया कुछ अलग होती |  भारत की आजादी के समय यानि 1947 में भारत को पाकिस्तान के बीच भारत के राज्यों के बीच विवाद चल रहा था | उस समय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 500 से ज्यादा रियासतों को मिलाकर एक देश बनाया | उस समय दोनों में से किसी का भी ध्यान लक्षद्वीप की तरफ नहीं गया | उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे लियाकत अली खां जिन्होंने बाद में लक्षद्वीप की तरफ ध्यान दिया और वहाँ अपना कब्जा करने की सोची | उन्होंने सोचा कि अगर एक बार पाकिस्तान का वहाँ पर कब्जा हो जाएँ तो भारत पर अपनी नजर रख सकते हैं | इसके लिए उन्होंने लक्षद्व...

कौन थी एन फैंक जिसने हिटलर की तानाशाही के सारे राज खोल दिए

कौन थी एन फैंक जिसने हिटलर की तानाशाही के सारे राज खोल दिए  आप में से बहुत से लोगों ने जर्मनी के तानाशाह हिटलर के बारे में जरूर सुना होगा , जिसने बहुत से यहूदियों का कत्लेआम किया और द्वितीय विश्व युद्ध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई , लेकिन मैं आपको आज हिटलर के बारे में नहीं बल्कि हिटलर के अत्याचारों से ग्रसित एक ऐसी ही यहूदी लड़की एन फैंक के बारे में बताऊँगा जिसने अपनी डायरी में अपने उन दिनों के अनुभव के बारे में बताया हैं जब हिटलर यहूदियों के ऊपर अत्याचार किया करता था |तो आज के इस लेख में हम आपको एन फ्रैंक के बारे में बताएंगे |  नीदरलैन्ड में एक 13 वर्ष की लड़की को उसके जन्मदिन पर उसके पिता ने एक डायरी गिफ्ट की | 2 दिन बाद उसने उस डायरी को लिखना शुरू किया | उस समय एडोल्फ हिटलर अपने सैनिक कारवाहियों को अंजाम दे रहा था | उसने आस्ट्रिया , पोलैंड और चेकोसलोवाकिया जैसे देशों को हरा कर अपने अधीन कर लिया था | इसके बाद हिटलर ने जर्मनी में प्रवेश किया | ये डायरी जब एन फ्रैंक 13 वर्ष की थी | एन फ्रैंक के पिता ने अपने दफ्तर के ऊपर ही छुपने का निर्णय लिया , और इस तरह एन फ्रैंक की ...

बिहार में बीती रात हुआ रेल हादसा , ट्रैक से उतर गई कई बोगिया

बिहार में बीती रात हुआ रेल हादसा , ट्रैक से उतर गई कई बोगिया   कल यानि कि बुधवार को बिहार के बक्सर रेल्वे स्टेशन के पास एक बड़ी रेल दुर्घटना हो गई , जिसमें कि 4 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए | ये ट्रेन दिल्ली से कामाख्या जा रही थी | ट्रेन में सवार बहुत से लोगों ने बताया हैं कि बुधवार तकरीबन साढ़े 9 बजे उन्हे एक जोरदार झटका महसूस हुआ | जब उन्होंने बाहर देखा तो सभी हैरान हो गए , उन्होंने देखा कि ट्रेन की बोगिया पटरी से नीचे उतर गई हैं और बहुत से घायल हैं | इस दुर्घटना से अभी भी बहुत से यात्री खौफ में हैं | जब ये हादसा हुआ तब उस समय ट्रेन की रफ्तार 120 km प्रतिघण्टे के आस पास थी | घायलों में कुछ लोगों को मामूली सी चोटे आई हैं और कुछ थोड़ा ज्यादा घायल हैं |  वैसे इस दुर्घटना के बाद हमारे देश के बहुत से नेताओ को राजनीति करने का मौका मिल गया हैं , जैसा कि उन्हे हर दुर्घटना में मिलता ही हैं | वैसे हमारे देश में मदद से पहले यहाँ के नेता राजनीति करने लगते हैं | जब ये दुर्घटना घटी तो उसके 1 घंटे के अंदर ही रैलवे प्रशासन और आस पास के गाँव वाले मदद के लिए या पहुचे औ...

जानिए महाभारत में कौन था जरासंध ?

जानिए महाभारत में कौन था जरासंध ?  आप में से बहुत से लोगों ने महाभारत के जरासंध के बारे में जरूर सुना होगा | महाभारत में जरासंध एक बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार था | वह बहुत ही शक्तिशाली योद्धा था , जिसने बहुत से योद्धाओ को धूल चटाया था | उसकी सेना में एक से बढ़कर एक योद्धा थे | बल्कि महाभारत का एक योद्धा एकलव्य भी जरासंध की ही सेना में था | जरासंध का जीवन जितना रहस्यमयी था , उतना ही रहस्यमयी था उसका जन्म | जरासंध के पिता का नाम राजा ब्रहदरथ था | राजा ब्रहदरथ की दो पत्नीया थी | लेकिन राजा ब्रहदरथ को दोनों में से एक से भी कोई भी संतान नहीं हुई और राजा की ये इकछा थी कि उसकी दोनों ही पत्नियों से उसे एक एक पुत्र प्राप्त हो क्युकी वो अपनी दोनों पत्नियों से समान प्रेम करते थे | एक बार राजा ब्रहदरथ अपनी पत्नियों सहित एक ऋषि के आश्रम पहुचे | जहां उन्होंने ऋषि से पुत्र प्राप्ति की याचना की |  ऋषि ने राजा को एक आम दिया और उन्हे अपनी पत्नी को खिलाने के लिए कहा | क्युकी राजा अपनी दोनों पत्नियों से समान प्रेम करते थे इसलिए उन्होंने उस आम को आधा आधा अपनी दोनों पत्नियों को खिला दिया | कुछ समय के ...

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास |

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास | History of alauddin khilji   भारत देश में सदियों से बहुत से आक्रान्ताओ ने हमला किया कभी लूट पाट के इरादे से तो कभी अपना राज्य फैलाने के लिए , उनमें से कुछ आक्रान्ताओ ने तो धन को लूट कर वापस अपने राज्य वहले गए लेकिन कुछ आक्रान्ताओ ने अपना राज्य यही पर बसाया और धीरे धीरे करके ईक बहुत बड़ा राज्य स्थापित कर लिया उदाहरण के लिए मुग़ल साम्राज्य , गुलाम वंश , तुगलक वंश आदि | इन साम्राज्यों के कुछ योद्धा तो बहुत ही कमजोर थे जो अपने राज्य को बाहरी आक्रमणों से बचा ना पाए , वही कुछ योद्धा तो ऐसे थे जिन्होंने ना सिर्फ अपने राज्य की रक्षा ही नहीं की बल्कि अपना राज्य का भी बहुत विस्तार किया | उन्ही में से एक योद्धा था अलाउद्दीन खिलजी जोकि खिलजी वंश का एक बहुत ही योग्य शासक था | जिसके इतिहास की चर्चा आज भी दुनिया में होती हैं | आपने पद्मावती फिल्म में भी अलाउद्दीन को जरूर देखा होगा , जोकि रानी पद्मावती को पाने के चित्तोडगढ़ पर हमला कर दिया | वो पहला ऐसा मुस्लिम आक्रांता था जोकि दक्षिण भारत तक जा पहुचा था | तो आईये आज मैं आपको अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास बताता हु | अलाउद...

दक्षिण के आंध्र भोज कहे जाने वाले महान कृष्णदेव राय का इतिहास

दक्षिण के आंध्र भोज कहे जाने वाले महान कृष्णदेव राय का इतिहास  आप में से बहुत से लोगों ने कृष्ण देव राय के बारे में तो जरूर सुना होगा और बहुत से लोगों ने तो कृष्ण देव राय के ऊपर बनी टीवी सीरीअल तेनाली रामा को भी देखा होगा | आज के इस लेख में आप कृष्ण देव राय का इतिहास जानोगे | कृष्ण देव राय तुलुव वंश का शासक था | इस वंश का संस्थापक वीर नरसिंह था | उसने 1505 ईस्वी से 1509 ईस्वी तक शासन किया था | इससे पहले उसने तुलुव वंश के राजा का वध करवा दिया था और इस वजह से बहुत से सरदार उसके खिलाफ हो गए | वीर नरसिंह ने अधिकतर सरदारों के विद्रोह को दबा दिया | कहा जाता हैं कि उसके प्रयासों से सभी जातियों और धर्मों में वीरता की भावनाएँ उत्पन्न हो गई और समाज में कायरता को घृणा की दृष्टि से देखा जाने लगा |  कृष्णदेव राय 1509 - 1529 ईस्वी  वीर नरसिंह के देहांत के बाद उसका सौतेला भाई कृष्ण देव राय गद्दी पर बैठा | उसकी ताजपोशी की रस्म श्रीकृष्ण जयंती के दिन हुई थी | वह विजयनगर साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली सम्राट था |  जब कृष्ण देव राय राजगद्दी पर बैठा तो उस समय विजयनगर साम्राज्य की अवस्था बह...