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जानिए आखिर कैसे लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना था |

जानिए आखिर कैसे लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना था | 



आज के इस लेख में हम आपको लक्षद्वीप के इतिहास के बारे में बताएंगे की कैसे लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना था | इन दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मालदीव की सरकार के बीच लक्षद्वीप को लेकर विवाद चल रहा हैं जो आपने जरूर सुना होगा | लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना था ? 1947 में अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल आधे घंटे की और देर करते तो शायद आज लक्षद्वीप पाकिस्तान का हिस्सा होता या परिस्थितिया कुछ अलग होती | 


भारत की आजादी के समय यानि 1947 में भारत को पाकिस्तान के बीच भारत के राज्यों के बीच विवाद चल रहा था | उस समय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 500 से ज्यादा रियासतों को मिलाकर एक देश बनाया | उस समय दोनों में से किसी का भी ध्यान लक्षद्वीप की तरफ नहीं गया | उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे लियाकत अली खां जिन्होंने बाद में लक्षद्वीप की तरफ ध्यान दिया और वहाँ अपना कब्जा करने की सोची | उन्होंने सोचा कि अगर एक बार पाकिस्तान का वहाँ पर कब्जा हो जाएँ तो भारत पर अपनी नजर रख सकते हैं |


इसके लिए उन्होंने लक्षद्वीप की तरफ अपनी सेना भेज दी | इधर जब सरदार वल्लभ भाई पटेल को इसकी भनक लगी तो उन्होंने भी अपनी सेना भेज दी | भारतीय सेना पाकिस्तान की सेना से पहले लक्षद्वीप पहुच गई और उन्होंने वहाँ अपना तिरंगा लहरा दिया | जब पाकिस्तान कि सेना वहाँ पहुंची तो उन्होंने भारतीय तिरंगा देखकर वहाँ से दबे पाँव भाग गए और इस तरह लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बन गया | अगर भारतीय सेना आधे घंटे की भी देरी करती तो आज परिस्थितिया कुछ भी हो सकती थी | 


सरदार वल्लभ भाई पटेल ये अच्छी तरह से जानते थे की जिस भी देश किसी टापू पर अधिकार हो जाता हैं तो उस टापू से लगभग 22 किलोमीटर का क्षेत्र उसका हो जाता हैं | और इस द्वीप से पाकिस्तान और अरब सागर भी नजर रखी जा सकती हैं | 

लक्षद्वीप 36 छोटे छोटे द्वीपों का समूह हैं | इनमें से सिर्फ 10 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं | यहाँ की आबादी लगभग 70 हजार हैं और यहाँ की लगभग 96% आबादी मुस्लिम हैं | एक और खास बात ये हैं कि यहाँ की साक्षरता दर 92% हैं | जोकि भारत के किसी भी राज्य से सबसे अधिक हैं | 


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