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आखिर महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यू लड़ा गया ?

आखिर महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यू लड़ा गया ?


आप सभी ने महाभारत के युद्ध के बारे में जरूर सुना होगा| और आप में से बहुत से लोग ये भी जानते होंगे कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़ा गया था| लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा हैं आखिर महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यू लड़ा गया ? इसके पीछे एक कारण हैं जो आज मैं आपको इस विडिओ में बताऊँगा| जब महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था तब श्रीकृष्ण ने अपने सभी दूतों को भारत के सभी दिशाओ में जाकर एक ऐसी भूमि को खोजने के लिए कहा जहां कि क्रोध , लालच , अहंकार जैसे संस्कार पर्याप्त मात्रा में हो| क्युकी श्रीकृष्ण बुराई को पूरी तरह से मिटा देना चाहते थे , क्युकी उन्हे पता था कि युद्ध में भाई भाई को मरता देख कौरव और पांडव आपस में संधि कर सकते हैं , इसलिए उन्हे एक ऐसी भूमि की तलाश थी जहां युद्ध करते हुए पांडव और कौरव पक्ष में एक दूसरे के प्रति दया ना पैदा हो| जब श्रीकृष्ण अपने दूतों को जगह जगह भेजते हैं 


तो उनमें से एक दूत उन्हे आकर कुरुक्षेत्र के बारे में ऐसी बात बताता हैं जिसको सूनने के बाद श्रीकृष्ण तुरंत ही इसी भूमि में युद्ध होने का निर्णय ले लेते हैं| दरअसल दूत ने श्रीकृष्ण को बताया कि उसने कुरुक्षेत्र में दो भाईओ को काम करते देखा| वर्षा के कारण खेत की मेड़ टूट गई थी और बड़े भाई ने अपने छोटे भाई को खेत की मेड़ में से बह रहे पानी को रोकने के लिए कहा , लेकिन छोटा इसे सुनकर क्रोधित हो गया और उसने अपने भाई से कहा कि तुझे ज्यादा पड़ी हैं तो तू ही क्यू नहीं पानी रोक देता , मैं क्या तेरा नौकर हु | बस इतना सुनने के बाद बड़ा भाई क्रोधित हो गया और उसने अपने छोटे भाई की हत्या करके उसे खेत की मेड़ में जहां से पानी बह रहा था वहाँ लगा दिया| श्रीकृष्ण ने सोचा कि ये भूमि महाभारत के युद्ध के बिल्कुल उपयुक्त रहेगी| 


एक और कथा के अनुसार एक बार श्रवनकुमार अपने माता पिता को बहँगी में बिठाकर तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़ा| रास्ते में कुरुक्षेत्र में जब वो पहुचा तो उसने अपने माता पिता को बहँगी से उतरकर चलने के लिए कहा , जब कुरुक्षेत्र का मैदान उन्होंने पार कर लिया तब श्रवनकुमार को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने अपने माता पिता से क्षमा मांगी| उसके माता पिता ने कहा कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं हैं , बल्कि इस भूमि में अहंकार , ईर्ष्या जैसे तत्वों का वास हैं , जिसकी वजह से तुम्हारी बुद्धि विचलित हो गई| 

कहा जाता हैं कि कुरुक्षेत्र के मैदान का नाम कुरुक्षेत्र पांडवों को कौरवों के वंशज राजा कुरु के कारण पड़ा था| 


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