इस वजह से मनाया जाता हैं ओणम
अभी देश के दक्षिण में सतिथ केरल में ओणम का पर्व मनाया जा रहा हैं| ये पर्व 20 अगस्त को शुरू हुआ हैं और 31 तारीख तक चलेगा| बचपन से आपने भी इस ओणम पर्व के बारे में जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सोच हैं कि आखिर ओणम मनाया क्यू जाता हैं , तो आज के इस लेख में हम आपको ओणम के पर्व का इतिहास बताते हैं|
ओणम का इतिहास
ओणम का पर्व भारत के दक्षिण में सतिथ केरल राज्य में मलयाली समाज द्वारा मनाया जाता हैं| ओणम पर्व का इतिहास राजा बलि से जुड़ा हुआ हैं| पौराणिक कथा के अनुसार बलि नाम के एक पराक्रमी राजा हुआ करते थे , जो कि अपनी प्रजा में सर्वप्रिय हुआ करते थे| उनकी अच्छाइओ के चर्चे देवताओ तक थे| कहा जाता हैं कि अपने समय में राजा बलि बहुत ही दयावान राजा थे| देवता भी उनकी अच्छाई से ईर्षा करने लगे थे| एक बार राजा बलि के अंदर अहंकार आ गया| राजा बलि भगवान विष्णु के भक्त थे और अपने भक्त राजा बलि इस दशा को देखकर उन्होंने बलि को पाप मुक्त करने का सोचा| वे राजा बलि के राज्य में एक वामन का रूप धर कर आए| वे राजा बलि से मिले| राजा बलि ने उनका सत्कार किया और उनसे कुछ मांगने के लिए कहा|
वामन जी ने बलि से तीन पग भूमि मांगी| राजा बलि ने तुरंत हा कर दी| जिसके बाद भगवान विष्णु के अवतार वामन जी ने अपने शरीर का आकार बहुत ही विशाल कर लिया| और उन्होंने अपने एक पग में पूरी धरती , दूसरे पग में पूरा आकाश नाप लिया अब उन्होंने बलि से तीसरा पग कहा रखू पूछा जिसके बाद बलि ने कहा कि आप तीसरा पग मेरे सर के ऊपर रख दीजिए| जिसके बाद वामन रूप ने अपना तीसरा पग राजा बलि के ऊपर रख दिया जिसके बाद वो पाताल में चले गए , लेकिन पाताल में जाने से पहले उन्होंने भगवान से अपनी प्रजा से साल में बार मिलने का वरदान मांगा| जिसके बाद भगवान विष्णु ने राजा बलि की इस इकछा को पूरा कर दिया|
इस कारण से ओणम का पर्व मनाया जाता हैं , क्युकी केरल के लोगों का मानना है कि राजा बलि साल में एक बार उनसे मिलने जरूर आते हैं| ओणम का त्योहार मनाने का एक कारण ये भी हैं कि केरल की फसले इस समय तक पक जाती हैं| और फसल पकने की खुशी में भी लोग ओणम को मनाते हैं| ओणम का पर्व 10 दिनों तक चलता हैं|
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