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सितंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास |

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास | History of alauddin khilji   भारत देश में सदियों से बहुत से आक्रान्ताओ ने हमला किया कभी लूट पाट के इरादे से तो कभी अपना राज्य फैलाने के लिए , उनमें से कुछ आक्रान्ताओ ने तो धन को लूट कर वापस अपने राज्य वहले गए लेकिन कुछ आक्रान्ताओ ने अपना राज्य यही पर बसाया और धीरे धीरे करके ईक बहुत बड़ा राज्य स्थापित कर लिया उदाहरण के लिए मुग़ल साम्राज्य , गुलाम वंश , तुगलक वंश आदि | इन साम्राज्यों के कुछ योद्धा तो बहुत ही कमजोर थे जो अपने राज्य को बाहरी आक्रमणों से बचा ना पाए , वही कुछ योद्धा तो ऐसे थे जिन्होंने ना सिर्फ अपने राज्य की रक्षा ही नहीं की बल्कि अपना राज्य का भी बहुत विस्तार किया | उन्ही में से एक योद्धा था अलाउद्दीन खिलजी जोकि खिलजी वंश का एक बहुत ही योग्य शासक था | जिसके इतिहास की चर्चा आज भी दुनिया में होती हैं | आपने पद्मावती फिल्म में भी अलाउद्दीन को जरूर देखा होगा , जोकि रानी पद्मावती को पाने के चित्तोडगढ़ पर हमला कर दिया | वो पहला ऐसा मुस्लिम आक्रांता था जोकि दक्षिण भारत तक जा पहुचा था | तो आईये आज मैं आपको अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास बताता हु | अलाउद...

दक्षिण के आंध्र भोज कहे जाने वाले महान कृष्णदेव राय का इतिहास

दक्षिण के आंध्र भोज कहे जाने वाले महान कृष्णदेव राय का इतिहास  आप में से बहुत से लोगों ने कृष्ण देव राय के बारे में तो जरूर सुना होगा और बहुत से लोगों ने तो कृष्ण देव राय के ऊपर बनी टीवी सीरीअल तेनाली रामा को भी देखा होगा | आज के इस लेख में आप कृष्ण देव राय का इतिहास जानोगे | कृष्ण देव राय तुलुव वंश का शासक था | इस वंश का संस्थापक वीर नरसिंह था | उसने 1505 ईस्वी से 1509 ईस्वी तक शासन किया था | इससे पहले उसने तुलुव वंश के राजा का वध करवा दिया था और इस वजह से बहुत से सरदार उसके खिलाफ हो गए | वीर नरसिंह ने अधिकतर सरदारों के विद्रोह को दबा दिया | कहा जाता हैं कि उसके प्रयासों से सभी जातियों और धर्मों में वीरता की भावनाएँ उत्पन्न हो गई और समाज में कायरता को घृणा की दृष्टि से देखा जाने लगा |  कृष्णदेव राय 1509 - 1529 ईस्वी  वीर नरसिंह के देहांत के बाद उसका सौतेला भाई कृष्ण देव राय गद्दी पर बैठा | उसकी ताजपोशी की रस्म श्रीकृष्ण जयंती के दिन हुई थी | वह विजयनगर साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली सम्राट था |  जब कृष्ण देव राय राजगद्दी पर बैठा तो उस समय विजयनगर साम्राज्य की अवस्था बह...

हिन्दू धर्म के अनुसार कितने युग हैं ?

हिन्दू धर्म के अनुसार कितने युग हैं ?  पौराणिक कथाओ के अनुसार हमारे हिन्दू धर्म में चार युगों के बारे में बताया गया हैं , सतयुग , त्रेतायुग , द्वापरयुग और कलयुग | इनमें से सतयुग सबसे पहला युग त्रेयतयुग उसके बाद वाला युग द्वापर उसके बाद और सबसे अंत में कलयुग आता हैं | अभी जिस युग में हम जी रहे हैं उसे कलयुग कहा जाता हैं | हर युग की अपनी एक अवधि होती हैं , और हर युग में पाप और पुण्य की अपनी एक सीमा होती हैं | सतयुग  सतयुग को सबसे बड़ा युग कहा जाता हैं | इस युग का समय 17,28,000 वर्ष हैं | सतयुग को सबसे बड़ा युग कहा जाता हैं | इस युग में धर्म के चारों स्तम्भ थे , अर्थात इस युग में पुण्य पाप से बहुत अधिक था | इस युग में मनुष्य की आयु भी बहुत लंबी हुआ करती थी क्युकी इस युग में पाप ना के बराबर होता था तो इस युग में मनुष्यों का जीवन बहुत ही सुखद होता था | इस युग में मनुष्यों की औसत आयु 1 लाख वर्ष थी | इस युग में भगवान विष्णु ने वराह , क्रूम , मत्स्य और नरसिंह अवतार लिए थे और ये सभी अमानवीय अवतार थे | इस युग में मनुष्य की औसत उचाई 33 फुट थी | इस युग में पाप 0% और पुण्य 100% था |  त्...

आखिर महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यू लड़ा गया ?

आखिर महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यू लड़ा गया ? आप सभी ने महाभारत के युद्ध के बारे में जरूर सुना होगा| और आप में से बहुत से लोग ये भी जानते होंगे कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़ा गया था| लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा हैं आखिर महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यू लड़ा गया ? इसके पीछे एक कारण हैं जो आज मैं आपको इस विडिओ में बताऊँगा| जब महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था तब श्रीकृष्ण ने अपने सभी दूतों को भारत के सभी दिशाओ में जाकर एक ऐसी भूमि को खोजने के लिए कहा जहां कि क्रोध , लालच , अहंकार जैसे संस्कार पर्याप्त मात्रा में हो| क्युकी श्रीकृष्ण बुराई को पूरी तरह से मिटा देना चाहते थे , क्युकी उन्हे पता था कि युद्ध में भाई भाई को मरता देख कौरव और पांडव आपस में संधि कर सकते हैं , इसलिए उन्हे एक ऐसी भूमि की तलाश थी जहां युद्ध करते हुए पांडव और कौरव पक्ष में एक दूसरे के प्रति दया ना पैदा हो| जब श्रीकृष्ण अपने दूतों को जगह जगह भेजते हैं  तो उनमें से एक दूत उन्हे आकर कुरुक्षेत्र के बारे में ऐसी बात बताता हैं जिसको सूनने के बाद श्रीकृष्ण तुरंत ही इसी भूमि में युद्ध ह...

मुहम्मद गौरी का इतिहास

मुहम्मद गौरी का इतिहास | History of muhmmad gauri  मुहम्मद गौरी भारत में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना करने वाला पहला शासक था| उससे पहले महमूद गजनवी ने भारत में सिर्फ धन और मूर्ति पूजा को नष्ट करने के उद्देश्य से भारत पर बार बार आक्रमण किये , लेकिन मुहम्मद गौरी ने भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से आक्रमण किये| मुहम्मद गौरी गौड़ का शासक था| मुहम्मद गौरी ने 1175 ईस्वी से भारत पर आक्रमण करने शुरू किये और 1205 ईस्वी तक उसने और उसके दास सेनानायकों ने सारे उत्तरी भारत पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया|  1 मुल्तान की विजय 1175 ईस्वी  मुहम्मद गौरी से सबसे मुल्तान पर आक्रमण करण का निश्चय किया| क्युकी मुल्तान भारत के रास्ते में पड़ता था| मुल्तान पर करमाथी कबीले का शासन था जो कि शिया मत को मानते थे| मुहम्मद गौरी ने अपनी सेना सहित मुल्तान पर आक्रमण कर दिया और मुल्तान को बड़ी ही आसानी से जीत लिया| मुल्तान पर करमाथियों का शासन हमेशा के लिए समाप्त हो गया|  2 उच्च पर अधिकार 1176 ईस्वी  मुल्तान की विजय के पश्चात मुहम्मद गौरी ने सिंध के ऊपरी भाग में सतिथ उच्च के दुर्ग ...