प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों का इतिहास
1. अंग :- यह मगध के ठीक पूरब में था| इसकी राजधानी चम्पा(मालिनी) में था| भागलपुर (बिहार) का चम्पानेर आज भी इसकी धरोहर कि रूप में सुरक्षित हैं| चम्पा उस समय भारतवर्ष कि सबसे प्रसिद्ध नगरियों में से एक था| चम्पा कला , संस्कृति सभ्यता तथा व्यापार का केंद्र थी| इस राज्य ने विशेष उनति कि परंतु बाद मैं इस शक्ति का पतन होना शुरू हो गया| इसका मगध के साथ हमेशा संघर्ष होता रहता था और अंत में मगध ने इस राज्य को हरा कर अपने राज्य में मिला लिया| बुद्ध काल में छह बड़े नगरों में चम्पा को भी गिना जाता था| महाभारत काल में कर्ण इसी चम्पा का राजा था जोकि महाभारत का बहुत ही वीर योद्धा था|
2. मगध :- मगध की राजधानी राजग्राह चम्पा की तरह ही नगरियों में से थी| उस समय rajgrah अपने वैभव के लिए प्रसिद्ध था| प्रारभ में मगध का राज्य का उतना महत्व नहीं था , परंतु बाद में इसने बड़ी उन्नति की| मगध में पटना और गया के आधुनिक नगर जिले सम्मलीत थे| ब्रहदत और जरासंध यह के प्रमुख शासक थे| कहा जाता हैं कि अंग के शासक बह्रदत और अन्य राजाओ ने मगध के राजाओ को परास्त किया था , परंतु अंत में मगध कि ही जीत हुई| बाद में मौर्य , कुषाण , गुप्त राजाओ की ये प्रमुख नगरी हुई थी| और नंद राजवंश ने भी इस राज्य पर राज किया| महाभारत काल में जरासंध यही का राजा था , जिसे बाद में भीम ने मल्ल युद्ध में हरा दिया था और उसके शरीर के दो भाग करके विपरीत दिशाओ में फेक दिया|
3. काशी :- इसकी राजधानी वाराणसी थी, जो वरुना और असी नदियों के बीच बीएसई हुई थी| ये नगरी बारह योजन में फैली हुई थी और किसी समय भारत की प्रमुख नगरी थी| जैन तीर्थकर पार्श्वनाथ के पिता अशवसेन काशी के राजा थे| महाभारत काल में भी काशी का बहुत बड़ा महत्व था| वैभव , शिल्प , बुद्धि और ज्ञान के लिए ये नगर बहुत प्रसिद्ध था| इसका कोशल राज्य से विशेष संघर्ष था| काशी राज्य कि शक्ति इस संघर्ष के चलते दिन - प्रतिदिन कम होती चली गई और बाद में इसका पतन हो गया| महाभारत काल में अम्बा भी इसी नगर की राजकुमारी थी , जिसे बाद में भीष्म ने अपहरण करके अपने राज्य हस्तिनापुर में ले गए| और यही अम्बा बाद में भीष्म कि मौत का कारण बनी|
4. कोशल :- उत्तरप्रदेश के मध्य में उत्तर कि और कोशल राज्य था| इसकी राजधानी श्रावस्ती थी| अयोध्या का महत्व इस समय तक कम हो गया था और श्रावस्ती का महत्व दिनों दिन बढ़ रहा था|काशी के साथ इसका संघर्ष था , जो काफी दिनों तक चला| काशी के अस्तित्व का अंत कर कोशल राजाओ ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया| कोशल के राजा कसं को पालीगरनथो में बारानसिगगहों कहा गया हैं| उसी ने काशी को जीत कर कोशल में मिलाया था| शाकयो की राजधानी कपिलवस्तु इसी कोशद राज्य के अंदर आती थी| महाभारत काल के बाद भी कोशल राज्य का बहुत महत्व था|
5. वज्जी :- यह आठ राज्यों का एक संघ था| जिसमें लिछवि, विदेह और ज्ञातृक विशेष महत्वपूर्ण थे| ये सभी उत्तर बिहार में थे| बुद्ध के समय तक वज्जीसंघ था| पाणिनी और कोटिल्य ने भी वज्जीसंघ के बारे में बताया हैं| यहा गणतंत्र शासन व्यवस्था थी| और इस संघ की राजधानी वैशाली थी| वैशाली संस्कृति और सभ्यता का प्रधान केंद्र थी| वज्जीसंघ में हरेक गाँव के सरदार को ही राजा कहा जाता था| राज्य के सामूहिक कार्य का विचार एक परिषद में होता था| जिसके वे सब सदस्य थे|
6. चेदि:- आधुनिक बुंदेलखंड के अंतर्गत यह राज्य था| और इसकी राजधानी शक्तिमती थी| इस राज्य का उल्लेख महाभारत में भी है और जातकों में बताया गया हैं कि सोतथती ही शक्तिमती हैं| शिशुपाल यही का राजा था, जिसके श्रीकृष्ण के हाथों मौत हुई थी|
7. कुरु :- दिल्ली और मेरठ के करीब ये राज्य था और इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी| वही इंद्रप्रस्थ जो महाभारत काल में पांडवों कि नगरी हुआ करता था| और महाभारत के युद्ध का एक कारण इंद्रप्रस्थ भी था| एक जातक के अनुसार इस राज्य में 300 संघ थे| जैनो के अनुसार यहा के ईक्षकवाकु नामक राजा का पता चलता हैं| जातक कथाओ में सुतसोम , कोरव और धनंजय यहा के राजा माने जाते हैं| प्रारंभ में यहा राजतन्त्र था फिर गणतंत्र कि स्थापना हुई| हलाकि कुरुओ का प्रताप धीरे धीरे कम हो गया था| लेकिन फिर भी इस देश का धर्म और शील ( आचार - व्वहार ) भारतवर्ष में आदर्श माना जाता था| इसे कुरुधम्म भी कहते थे| "कुरूढमंजातक" के अनुसार यहाँ के लोग अपने सीधे और सच्चे व्वयवहार के लिए आदरणीय माने जाते थे और दूसरे राज्यों के लोग इनसे धर्म सीखने आते थे| महाभारत काल में कुरु नाम के राजा के कारण इस जगह का नाम कुरु पड़ा| कुरु के आगे ही इस वंश में कौरव और पांडव जैसे पराक्रमी योद्धा हुए थे|
8. पांचाल :- कुरु और पांचाल मिके लाकर शायद एक ही राज्य गिने जाते थे| क्युकी कुरुराष्ट्र कि राजधानी कभी इंद्रप्रस्थ तो कभी पांचाल हुआ करती थी| और कभी कांपिलयनगर और कभी उत्तर पांचाल नगर को कहा जाता था| पांचाल देश कोशल और वत्स के पक्षिम तथा चेदि के उत्तर में स्तिथ था| कुरु उनके पक्षिम और ब्रजभूमि के उत्तर था| ये दोनों प्राचीन जनपद थे| हालांकि उस समय इनका कोई विशेष महत्व नहीं था| पांचाल कि दो शाखाएं थी:- उत्तरी और दक्षिणी| उत्तरी पांचाल कि राजधानी अहइच्छत्र थी और दक्षिणी पांचाल की कांपिलय थी| प्रारंभ में यहाँ राजतन्त्र था फिर बाद में यहाँ गणतंत्र कि स्थपना हुई| महाभारत काल में द्रोपदी यही की राजकुमारी थी, जिसके अपमानों का प्रतिशोध लेने के लिए महाभारत का भयानक युद्ध हुआ था| महाभारत काल पांचाल एक अलग राज्य हुआ करता था और एक बहुत ही शक्तिशाली राज्य हुआ करता था जिसके सेनापति शिखंडी थी| जो महाभारत के युद्ध में भीष्म कि मौत का कारण बनी थी|
9. मत्स्य :- मत्स्य आधुनिक अलवर , भरतपुर और जयपुर राज्यों को भूमि पर स्तिथ था| इसकी राजधानी विराटनगरी थी| मतस्य पहले तो चेदि के अधीन था , बाद में मगध के अधीन हुआ|
10. सूरसेन :- कुरू के दक्षिण और चेदि के पक्षिम में यमुना के दाए सुरसेनो ( मथुरा ) का राज्य था| मथुरा इसकी राजधानी थी| यहाँ पहले गणतंत्र था , बाद में राजतन्त्र हुआ| महाभारत में भी इस राज्य के बारे बताया गया हैं| ये यादव थे|
11. वत्स :- काशी के पक्षिम में ही वत्स नाम का जनपद था| पुराणों के अनुसार राजा निकचक्षु ने यमुना नदी के तट पर अपने राजवंश कि स्थापना तब कि थी जब हस्तिनापुर का पतन हो गया था| इसकी राजधानी कोशामभी थी| यह भी व्यापारिक मार्ग पर स्तिथ थी| इसीलिए इसका विशेष महत्व था| अवन्ती के साथ इसका बराबर संघर्ष होता रहता था|
12. मल्ल :- वज्जीओ के पड़ोसी मल्ल थे और उनका भी गणराज्य था| ये लोग वज्जी के पक्षिम और कोशल के पूरब में थे| पावा और कुशीनगर उनके कस्बे थे| ये लोग दो भागों में बटें हुए थे:- एक भाग कुशीनगर में रहता था और दूसरा भाग पावा में रहता था| महाभारत में मल्ल के दोनों राज्यों का उल्लेख हैं|
13. अस्मक :- अस्मक राज्य गोदावरी नदी के तट पर स्तिथ था| इसकी राजधानी पाटेली (पोतन) थी| इस राज्य के राजा ईक्षकवाकु वंश के थे| इनका अवन्ती के निरंतर संघर्ष होता रहता था और धीरे धीरे करके ये राज्य अवन्ती के अधीन हो गया| ईक्षकवाकु वही वंश हैं जिसमे श्री राम का जन्म हुआ था|
14. अवन्ती:- आधुनिक मालवा प्रांत ही प्राचीन काल का अवन्ती राज्य था| इसके दो भाग थे:- उत्तरी अवन्ती और दक्षिणी अवन्ती| उत्तरी अवन्ती कि राजधानी उजजयनि थी और दक्षिणी अवन्ती कि राजधानी महिषमती थी| इस समय अवन्ती राज्य काफी शक्तिशाली था| और इसके कई शासकों ने वत्स को अपने अधीन करने के लिए बहुत प्रयत्न किया कई युद्ध भी हुए| प्राचीन काल में यह हहार्यवंशी राजाओ का राज था| इनके ही वंशजों को भगवान परशुराम ने 21बार क्षत्रियों से विहीन कर दिया था|
15. गांधार :- यह आधुनिक अफगानिस्तान का पूर्वी भाग था| इसका प्रसार पक्षिमी पंजाब और कश्मीर तक था| इसकी राजधानी तक्षशिला थी| अवन्ती और गांधार के बीच कई बार युद्ध हुए थे और मगध राज बिंबिसार के साथ इसका मित्रता का संबंध था| तक्षशिला में दुनिया का पहला एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भी था| अन्तः विद्या का केंद्र होने के कारण भी तक्षशिला एक प्रसिद्ध केंद्र था| महाभारत में भी तक्षशिला का वर्णन हैं| महाभारत में गांधारी जो कि 100 कोरवों कि माँ थी यही कि राजकुमारी थी और शकुनि भी यही का राजा था| तक्षशिला का नाम भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर रखा गया था| भरत श्रीराम के भाई थे|
16. कंबोज :- गांधार कश्मीर के उत्तर में स्तिथ आधुनिक paamir का पठार था| उसके पक्षिम में कंबोज महाजनपद कहलाता था| हाटक(राजपुर) इस राज्य कि राजधानी थी| कंबोज और गांधार के नाम करीब - करीब साथ ही मिलते हैं| द्वारिका भी इस राज्य के पास थी| बुद्धकाल के बाद भी इसका काफी महत्व था|
इन सोलह महाजनपदों के अतिरिक्त भी कई छोटे - छोटे राष्ट्र थे| गांधार - कुरु तथा मत्स्य के बीच केकय , मद्रक , त्रीगर्त , योधेया इत्यादि तथा उनके पक्षिम और दक्षिण में सिंधु , शिवि , अंबष्टह , सोंवीर इत्यादि थे| सोलह महाजनपदों में से गांधार - कंबोज कि जोड़ी तो एक तरफ थी , किन्तु बाकी सात जोड़िया के प्रदेश लगातार एक दूसरे के साथ लगे हुए थे| सोलह महाजनपदों कि अवस्था भी देर बनी नहीं रही , क्युकी उनमें से कुछ जनपद दूसरे जनपद को निगलकर अपना राज्य बढ़ा लेते थे| तो ये था हमारा आज का लेख सोलह महाजनपदों के ऊपर आपको ये लेख कैसा लगा मुझे comment box में अपने सुझाव दें और मेरे ब्लॉग को भी follow कर ले | धन्यवाद |
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